1.मुश्किलें दिल के इरादे आजमाती हैं ,
हुस्न के परदे निगाहों से हटती हैं ,
हौसला मत हर गिर कर ओ मुसाफिर ,
ठोकरें इन्सान को चलाना सिखाती हैं |
2.खुशबू बनकर गुलों से उड़ा करते हैं ,
धुआं बनकर पर्वतों से उड़ा करते हैं ,
ये कैंचियाँ खाक हमें उड़ने से रोकेगी ,
हम परों से नहीं हौसलों से उड़ा करते हैं|
3.मिलेगी परिंदों को मंजिल ये उनके पर बोलते हैं ,
रहते हैं कुछ लोग खामोश लेकिन उनके हुनर बोलते हैं |
4.हो के मायूस न यूं शाम से ढलते रहिये ,
ज़िन्दगी भोर है सूरज सा निकलते रहिये ,
एक ही पाँव पे ठहरोगे तो थक जाओगे ,
धीरे-धीरे ही सही राह पे चलते रहिये .
5. वो पथ क्या पथिक कुशलता क्या ,जिस पथ में बिखरें शूल न हों
हुस्न के परदे निगाहों से हटती हैं ,
हौसला मत हर गिर कर ओ मुसाफिर ,
ठोकरें इन्सान को चलाना सिखाती हैं |
2.खुशबू बनकर गुलों से उड़ा करते हैं ,
धुआं बनकर पर्वतों से उड़ा करते हैं ,
ये कैंचियाँ खाक हमें उड़ने से रोकेगी ,
हम परों से नहीं हौसलों से उड़ा करते हैं|
3.मिलेगी परिंदों को मंजिल ये उनके पर बोलते हैं ,
रहते हैं कुछ लोग खामोश लेकिन उनके हुनर बोलते हैं |
4.हो के मायूस न यूं शाम से ढलते रहिये ,
ज़िन्दगी भोर है सूरज सा निकलते रहिये ,
एक ही पाँव पे ठहरोगे तो थक जाओगे ,
धीरे-धीरे ही सही राह पे चलते रहिये .
5. वो पथ क्या पथिक कुशलता क्या ,जिस पथ में बिखरें शूल न हों
नाविक की धैर्य कुशलता क्या , जब धाराएँ प्रतिकूल न हों ।
6. जब टूटने लगे होसले तो बस ये याद रखना ,बिना मेहनत के हासिल तख्तो ताज नहीं होते ,
ढूंड लेना अंधेरों में मंजिल अपनी ,जुगनू कभी रौशनी के मोहताज़ नहीं होते .
7. यह अरण्य झुरमुट को कटे अपनी रह बना ले ,
कृत दस यह नहीं किसी का जो चाहे अपना ले
जीवन उनका नहीं युधिस्ठिर जो इससे डरते हैं,
यह उनका जो चरण रोप निर्भय होकर चलते हैं
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8. कुछ बात है की हस्ती मिटती नहीं हमारी ,
सदियों रहा है दुश्मन दौरे -जमाँ हमारा |
सदियों रहा है दुश्मन दौरे -जमाँ हमारा |
9.समर में घाव खता है उसी का मान होता है,
छिपा उस वेदना में अमर बलिदान होता है,
सृजन में चोट खाता है छेनी और हथौड़ी का,
वही पाषाण मंदिर में कहीं भगवन होता है |
10.कोई भी लक्ष्य बड़ा नहीं ,
जीता वही जो डरा नहीं |
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